भारतीय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) देश के लाखों कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन दे कर उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद करती है। यह योजना खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए है जो प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं और जिनके वेतन से हर महीने PF कटता है। अब EPFO ने पेंशन पाने के नियमों में कुछ अहम बदलाव किए हैं, जिनसे कई कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। इस नए बदलाव के बारे में जानना जरूरी है ताकि सभी सही जानकारी के साथ अपने भविष्य की योजना बना सकें।
EPFO की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) 1995 से लागू है और इसका मकसद कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद नियमित पेंशन देना है। इस योजना के तहत कर्मचारी और उसकी कंपनी दोनों का योगदान होता है, जिसमें से एक हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना में जमा होता है। पहले इस योजना के तहत पेंशन पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल नौकरी करनी जरूरी थी और नौकरी छोड़ने के बाद उसकी उम्र कम से कम 50 साल होनी चाहिए थी। साथ ही पेंशन मिलना आमतौर पर 58 साल की उम्र के बाद शुरू होती है।
EPFO Pension New Rule 2025
हाल ही में EPFO ने अपने नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब कर्मचारी जिस कंपनी में कम से कम एक महीना काम करके EPS (Employee Pension Scheme) का योगदान देता है, वह भी पेंशन पाने का अधिकार रखता है। पहले छह महीने से कम नौकरी करने वाले कर्मचारी पेंशन योजना का लाभ नहीं ले पाते थे, लेकिन अब यह सीमा घटाकर सिर्फ एक महीने कर दी गई है। इससे उन कर्मचारियों को राहत मिलेगी जो अपनी नौकरी जल्दी छोड़ देते हैं या अनुबंधित काम करते हैं जैसे बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, पार्ट-टाइम व अनुबंध स्टाफ। उन्होंने अब अपने योगदान को खोया नहीं होगा और उनका एक तरह से भविष्य सुरक्षित होता है।
पेंशन पाने के लिए अब भी 10 साल की न्यूनतम नौकरी पूरी करना आवश्यक है अगर आप नियमित पेंशन चाहते हैं। इसके अलावा, यदि किसी कर्मचारी ने 10 वर्ष तक नौकरी की है लेकिन उसका उम्र 50 से कम है, तो उसे पेंशन का दावा नहीं मिलेगा। ऐसे में वह केवल अपने PF का जमा पैसा निकाल सकता है। यदि व्यक्ति 50 से 58 साल की उम्र में पेंशन लेना चाहता है, तो उसे कम पेंशन मिलेगी क्योंकि हर साल के हिसाब से पेंशन की रकम 4% घटाई जाती है।
कर्मचारी पेंशन योजना क्या है?
EPS सरकार की एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका प्रबंधन EPFO करता है। इसका मकसद रिटायर हुए कर्मचारियों को मासिक पेंशन प्रदान कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा देना है। इस योजना में PF का लगभग 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन कोष में जाता है। कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डियरनेस एलाउंस (DA) के हिसाब से पेंशन की गणना की जाती है।
पेंशन पाने की उम्र सामान्यतः 58 साल होती है, लेकिन कुछ कंपनियां इसे बढ़ा भी सकती हैं। EPS के तहत मिलने वाली पेंशन की राशि कर्मचारी की नौकरी की अवधि और वेतन पर निर्भर करती है। उम्मीदवारों के लिए एक विकल्प भी है जिसमें वे अधिक पेंशन पाने के लिए ‘हायर पेंशन स्कीम’ का विकल्प चुन सकते हैं, पर इसे पाने के लिए कुछ अतिरिक्त नियम होते हैं।
पेंशन की रकम में हालिया बदलाव
सरकार ने न्यूनतम EPS पेंशन को बढ़ाकर 1,000 रुपये से बढ़ाकर लगभग 7,500 रुपये कर दिया है। यह नया नियम अप्रैल 2025 से लागू होने की संभावना है। इससे लगभग 78 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। इस रकम में डियरनेस अलाउंस (DA) भी जोड़कर पेंशन राशि दी जाती है ताकि महंगाई की मार से उन्हें कुछ राहत मिल सके।
हर महीने EPFO लाखों पेंशनर्स को राशि देता है और इनकी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट सिस्टम (CPPS) शुरू किया गया है। यह प्रणाली पेंशनर को निर्धारित तारीखों पर बिना किसी देरी के पेंशन राशि पहुंचाने का काम करती है।
नौकरी में गैप या छोटा अवधि काम करने पर क्या होगा?
पहले अगर किसी कर्मचारी ने 6 महीने से कम नौकरी की तो उसको EPS पेंशन का कोई अधिकार नहीं मिलता था। अब यह अवधि घटाकर मात्र 1 महीना कर दी गई है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने थोड़े समय के लिए काम किया और अपना योगदान दिया, वे भविष्य में EPS के तहत पेंशन पाने के हकदार होंगे। इस बदलाव से विशेषकर युवाओं और अनुबंध के कर्मचारियों के हित में सकारात्मक परिणाम आएंगे।
आवेदन कैसे करें?
EPS पेंशन पाने के लिए EPFO में आपका पंजीकृत होना जरूरी है। नौकरी के दौरान आपके वेतन खाते से PF काटा जाता है, जिससे गैप न होने देना महत्वपूर्ण है। नौकरी छोड़ने के बाद, यदि आपकी नौकरी की अवधि 10 साल या उससे अधिक है और आपकी उम्र पेंशन मिलने के मानक अनुसार है, तो आप EPFO की वेबसाइट या अपने क्षेत्रीय कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेजों में आपका PF अकाउंट नंबर, आधार कार्ड, पहचान पत्र, बैंक खाते की जानकारी शामिल होती है। EPFO की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन पत्र मिल जाता है जिसे भरकर जमा करना होता है। इसके बाद पेंशन प्रक्रिया शुरू होती है और आपकी नौकरी की अवधि के अनुसार मासिक पेंशन राशि निर्धारित होती है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, EPFO की कर्मचारी पेंशन योजना देश के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। नए नियम के अनुसार अब सिर्फ एक महीने की नौकरी करके EPS में योगदान देने वाले कर्मचारी भी पेंशन पाने के हकदार होंगे। यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए खास है जो छोटा समय नौकरी करते हैं या अनुबंध पर काम करते हैं। पेंशन पाने की न्यूनतम नौकरी की अवधि 10 साल ही बनी हुई है, लेकिन न्यूनतम पेंशन राशि भी बढ़ाई गई है जिससे लाभार्थियों को बेहतर आर्थिक मदद मिल सके।
यह नई व्यवस्था कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम है जो उनके भविष्य को और बेहतर बनाएगा। अपने अधिकारों और नया नियम समझ लेना सभी कर्मचारियों के लिए आवश्यक है ताकि वे अपने पेंशन का सही लाभ उठा सकें।