Online Gaming Ban 2025: अब Supreme Court देखेगा पूरा केस – खिलाड़ियों में मचा हड़कंप!

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Online Gaming Ban

देश में ऑनलाइन गेमिंग को लेकर काफी दिनों से चर्चा चल रही है। खासकर उन खेलों के बारे में जिनमें पैसा लगाया जाता है और जिनसे जुड़ी हैं जोखिमें जैसे एडिक्शन, धोखाधड़ी और अवैध लेनदेन। इसी संदर्भ में संसद ने अगस्त 2025 में ऑनलाइन गेमिंग एक्ट को पास किया, जिसने रियल मनी गेम्स यानी ऐसे गेम्स जो पैसे के लिए खेले जाते हैं, उन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इस कानून के बनने के बाद कई कंपनियां और उद्योग ने इसे चुनौती दी है और अब ये पूरे मामले की सुनवाई भारत के सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, कर्नाटक, और मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट में चल रहे इस एक्ट को चुनौती देने वाले सभी केस खुद के पास ट्रांसफर कर लिए हैं ताकि मामले में एक समान और स्पष्ट फैसला हो सके।

इस लेख में आसान भाषा में इस ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 के बारे में पूरा विवरण, इसकी खास बातें, प्रभाव और कोर्ट के फैसले की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है।

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 क्या है?

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025, जिसे भारत सरकार ने अगस्त 2025 में पारित किया, का मुख्य उद्देश्य है देश में ऑनलाइन गेमिंग में हो रहे पैसे के खेलों (रियल मनी गेम्स) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना।

इस अधिनियम में न केवल इन गेम्स को खेलने पर रोक लगाई गई है, बल्कि इनके प्रचार, बैंकिंग लेनदेन और विज्ञापन पर भी प्रतिबंध है। अधिनियम के तहत ऐसे खेलों में शामिल होना या प्रदान करना दोनों ही अपराध माना गया है, जिसके लिए जेल और भारी जुर्माना का प्रावधान है।

सरकार का कहना है कि यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा, धोखाधड़ी, पैसे की अवैध लेनदेन और जुआ के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए आवश्यक है। वहीं, इस अधिनियम में स्किल बेस्ड गेम्स और ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने की बात भी शामिल है।

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट का सार (Overview in Table)

मुख्य बिंदुविवरण
अधिनियम का नामPromotion and Regulation of Online Gaming Act, 2025
अधिनियम पारितअगस्त 21, 2025
राष्ट्रपति की स्वीकृतिअगस्त 22, 2025
लागू क्षेत्रपूरे भारत में और भारत से बाहर संचालित ऑनलाइन गेमिंग पर भी लागू
प्रतिबंधरियल मनी गेम्स (पैसे वाले गेम्स) पर पूर्ण प्रतिबंध
अपराध और दंडगैर-बेल योग्य अपराध, 3 साल तक जेल और 1 करोड़ तक जुर्माना
बैंकिंग और विज्ञापनबैंकिंग सेवा और विज्ञापन पर सख्त प्रतिबंध
ई-स्पोर्ट्स की स्थितिमान्यता प्राप्त वैध प्रतिस्पर्धात्मक खेल के रूप में प्रचार
अदालतों में सुनवाईदिल्ली, कर्नाटक, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से सभी केस सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर
मुख्य विवादस्किल गेम्स को भी प्रतिबंधित करना और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होने का आरोप

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट किस तरह काम करता है?

  • भारत में अब कोई भी ऑनलाइन गेम जिसमें सक्रीन पैसा लगाने की व्यवस्था है, वह इस कानून के तहत प्रतिबंधित है।
  • इसके तहत रियल मनी गेम्स जैसे कि पोकर, रम्मी, फैंटेसी स्पोर्ट्स, और अन्य किसी भी पैसों वाले गेम की पेशकश और उसमें हिस्सा लेने दोनों को गैरकानूनी माना गया है।
  • बैंक, भुगतान गेटवे, और अन्य वित्तीय संस्थानों को अब इन गेम्स से जुड़े भुगतान की सुविधा देने से रोका गया है।
  • विज्ञापन एजेंसियों और कंपनियों को भी इस तरह के गेम्स का विज्ञापन करने से मना किया गया है।
  • जो इस कानून का उल्लंघन करेगा, उसे जेल की सजा और भारी जुर्माना झेलना पड़ेगा।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस कानून का उद्देश्य है स्वस्थ डिजिटल मनोरंजन को बढ़ावा देना। इसलिए सोशल और शैक्षिक गेम्स को सरकार परख कर प्रमोट करेगी और ई-स्पोर्ट्स को एक वैध खेल के रूप में मान्यता देगी।

सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन गेमिंग एक्ट का मामला

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट को लेकर दिल्ली, कर्नाटक, और मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट में कई याचिकाएं चल रही थीं। ये याचिकाएं इस एक्ट को संवैधानिक रूप से चुनौती दे रही हैं।
कंपनियों और ई-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का कहना है कि इस कानून से उनका व्यवसाय और लोगों का व्यावसायिक और व्यावसायिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(g)) प्रभावित होता है। साथ ही इनका दावा है कि यह कानून स्किल-बेस्ड गेम्स और ई-स्पोर्ट्स को भी प्रतिबंधित करता है, जो पहले से ही वैध हैं।

सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई कि अलग-अलग हाई कोर्ट में अलग-अलग फैसले होने से भ्रम और असंगति पैदा होगी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई करे।
सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की मांग को स्वीकार करते हुए इन मामलों को अपने पास ट्रांसफर कर लिया है और दिल्ली, कर्नाटक, तथा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से सारे रिकॉर्ड डिजिटल माध्यम से मंगा लिए हैं।

अब आगे पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी। नया कानून इस सुनवाई के बाद ही कानूनन प्रभावी होगा या नहीं, यह तय होगा।

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025: मुख्य तथ्य और विवाद

  • राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा: जांच में पता चला कि कुछ ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म आतंकियों के फंडिंग, अवैध संदेश आदि के लिए इस्तेमाल हो रहे थे।
  • जुआ और धोखाधड़ी: बेतहाशा जुआ और फर्जी ऑनलाइन पुरस्कारों से उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा था।
  • इनसानी स्वास्थ्य: ऑनलाइन गेमिंग की लत से कई लोग आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित हो रहे थे।
  • विपक्ष की दलील: उद्योग का मानना है कि सरकार ने स्किल-बेस्ड खेलों को भी समानांतर जुआ माना, जबकि न्यायालयों ने पहले इनका व्यवसाय के तौर पर समर्थन किया है।
  • कानूनी स्थिति: इस एक्ट के तहत अपराध गैर-बेल योग्य हैं, यानी गिरफ्तारी के बाद जमानत पाना मुश्किल होगा।

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 के प्रभाव

  • ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पूरी तरह बैन हो जाएंगे।
  • ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है।
  • कई लोगों की नौकरियां भी प्रभावित हो सकती हैं।
  • लेकिन साथ ही, स्किल गेम्स और ई-स्पोर्ट्स क्षेत्र में सरकार सकारात्मक रुख अपनाने की बात कह रही है।
  • उपभोक्ता धोखाधड़ी, जुआ व लत से काफी हद तक सुरक्षित रहेंगे।

निष्कर्ष और डिस्क्लेमर

ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 एक गंभीर सरकारी कदम है जो देश में ऑनलाइन पैसे वाले गेम्स पर सख्त प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है। इसका उद्देश्य जुआ, धोखाधड़ी, आतंक फंडिंग, और खेल लत से जनता को बचाना है।

हालांकि, इस कानून को उद्योग समूह और कुछ न्यायिक संगठनों द्वारा चुनौती दी गई है क्योंकि यह स्किल-बेस्ड और वैध दिलचस्प खेलों की गतिविधियों को भी प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट अभी इस मामले में अंतिम फैसला करेगा।

डिस्क्लेमर: यह कानून वर्तमान में लागू है लेकिन इस पर कई उच्च न्यायालयों में अपीलें लगी हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है। इस लिए यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यह एक्ट अपने पूरे रूप में स्थायी और उचित है या नहीं। अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही स्पष्ट होगा।

सभी तथ्यों का स्रोत भारतीय सरकार की आधिकारिक वेबसाइटें और सुप्रीम कोर्ट की आदेश रिपोर्ट हैं, इसलिए यह जानकारी विश्वसनीय और आधिकारिक मानी जाती है।

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